ऋतुराज वसंत

ऋतुराज
हे बसंत ऋतुराज!तुम्हारा स्वागत है,
कोयल-कूक, भ्रमर-मृदु गुंजन।
दें तुमको आवाज़-तुम्हारा स्वागत है।।


फूल खिल गए गुलशन-गुलशन,
जिनपर करें तितलियाँ नर्तन।
बजे गीत के साज़-तुम्हारा स्वागत है।।


प्रकृति अनोखी सजी हुई है,
आम्र-मंजरी लदी हुई है।
हुआ प्रीति आगाज़-तुम्हारा स्वागत है।।


फूली सरसों छटा बिखेरे,
सजी धरा को लखें चितेरे।
मनमोहक महि-लाज-तुम्हारा स्वागत है।।


थलचर-जलचर-नभचर सब में,
नदी-तड़ाग-गिरि, वन-उपवन में।
रति-अनंग-साम्राज्य-तुम्हारा स्वागत है।।


तुम प्रतीक मधुमास सुहावन,
प्रेमी-प्रेयसि के मनभावन।
हो तुमहीं सरताज-तुम्हारा स्वागत है।।


तुम्हीं नियंता सब ऋतुओं के,
हो अभियंता रस-तत्वों के।
दस दिशि तेरा राज-तुम्हारा स्वागत है।।


मगन-मुदित जग हो पा तुमको,
मिलता सुख असीम है सबको।
खग-मृग सकल समाज-तुम्हारा स्वागत है।।
हे बसंत ऋतुराज!तुम्हारा स्वागत है ।।
                 डॉ0हरि नाथ मिश्र
                  9919446372